
कटनी, रीठी। GANESH UPADHYAY VANDE BHARAT LIVE TV NEWS KATNI MP
प्रदेश सरकार द्वारा चिकित्सा के क्षेत्र में कई तरह की योजनाओं को संचालित किया जा रहा है। लेकिन जिम्मेदार स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा शासन की योजनाओं को पलीता लगाया जा रहा है। जिससे जरूरतमंदों को चिकित्सा सुविधा नसीब नहीं हो रही है। मरीज के लिए डॉक्टर भगवान का रूप होता है, बीमारी से मुक्ति दिलाने की एक उम्मीद होती है, उसके दर्द को बांटने का एक जरिया होता है। लेकिन इस अस्पताल की कहानी ही कुछ और बयां कर रही है। एक तरफ राज्य सरकार लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के दावे कर रही है तो दूसरी तरफ यह अस्पताल खुद कोमा में है और जिम्मेदार अधिकारी बेखबर हैं।
सरकार द्वारा नि: शुल्क स्वास्थ्य सुविधा मरीजों को मुहैया कराने की मंशा से भले ही अस्पतालों की ओर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए जा रहे हों लेकिन प्रशासनिक तंत्र की बेपरवाही के चलते जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ अंतिम छोर के व्यक्ति तक नहीं पहुंच पा रहा है। रीठी अस्पताल में व्याप्त भर्राशाही के चलते शासन की योजनाएं ढकोसला ही साबित हो रही हैं। तो वहीं जिले की कमान संभाल रहे जिम्मेदार अमले द्वारा भी अपने कर्तव्यपरायणता से इति-श्री करने प्रमाण दिया जा रहा है। जिसके चलते चिकित्सक व पदस्थ कर्मचारियों के हौंसले बुलंद होते जा रहे हैं और स्टाफ नर्सों द्वारा मरीजों के साथ अभद्र व्यवहार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है।
वर्षों से जमें कर्मचारियों की चलती है अफसरशाही
सूत्रों की मानें तो रीठी अस्पताल की व्यवस्था को स्ट्रेचर तक पहुंचाने में वर्षों से अंगद के पैर की तरह रीठी अस्पताल में जमें कर्मचारियों की विशेष भूमिका रही है। जो पदस्थ बीएमओ की ढीली लगाम के चलते अपने आप को सर्वोसर्वा मान चुके हैं। बताया गया कि यहां पदस्थ कर्मचारियों में अफसरशाही हावी है। अस्पताल में पदस्थ बाबुओं का भी एक क्षत्र राज चल रहा है। बताया जाता है कि कुछ कर्मचारी तो नियुक्ति से लेकर सेवानिवृत्त तक रीठी अस्पताल से होते हैं।
रीठी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बदहाल
रीठी तहसील मुख्यालय में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अव्यवस्थाएं हावी हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रीठी में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। यहां आने वाले मरीजों को पीने के लिए पानी और पर्याप्त संसाधन भी मौजूद नहीं है। देखकर ऐसा लगता है कि अस्पताल खुद बीमार है और इसे इलाज की दरकार है। बताया जाता है कि रीठी अस्पताल में सुरक्षित प्रसव कराने के एवज में स्टाफ नर्सों द्वारा प्रसूतिकाओं के परिजनों से बधाई स्वरूप पैसे भी लिए जाते हैं। वहीं कुछ नर्सें द्वारा आशा कार्यकर्ता के माध्यम से गरीब प्रसूताओं के परिजनों के जेब में डाका डालने का काम कर रहीं है। बताया गया कि रीठी अस्पताल में एक्स-रे की सुविधा तो है लेकिन प्लास्टर बांधने की सुविधा आज तक मुहैया नहीं कराई गई है। फेक्चर मरीजों को निजी क्लीनकों में जाकर प्लास्टर बंधवाना पड़ रहा है।
ठप्प पड़ी है सफाई व्यवस्था बदबू से घुट रहा दम
30 बिस्तर वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रीठी में इन दिनों सफाई व्यवस्था भी भगवान भरोसे हो गई है। वार्डों में दुर्गंध आती है एवं पलंग में बिछे कपड़े भी साफ नहीं कराए जाते हैं। मुख्य द्वार से लेकर वार्डों तक कूड़ा अटा पड़ा है। सबसे अधिक गंदगी प्रसूता वार्ड में देखी जा सकती है। यहां देखकर तो ऐसा लगता है जैसे कभी सफाई होती ही नहीं है। अब ऐसे में बीमारियों का फैलना भी वाजिब है इसी गंदगी के बीच गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जा रहा है। गंदगी की वजह से जच्चा-बच्चा दोनों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है। बावजूद इसके स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय चैन की नींद सोया हुआ है। ग्रामीणों की मानें तो इस संबंध में कई बार वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी दी गई है लेकिन कुंभकर्णीय निंद्रा में लीन जिम्मेदारों ने आज तक इस ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा।
फर्जी बिलों से शासकीय राशि का बंदरबांट के आरोप
सूत्रों की मानें तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रीठी में प्रतिवर्ष लाखों रुपए के बिल फल, दूध, बिस्कुट, लड्डू व अन्य व्यवस्थाओं के नाम पर लगाकर शासकीय राशि तो आहरित कर ली जाती है। लेकिन इसके बाद भी मरीजों को इनका लाभ नहीं मिल पा रहा है। अस्पताल परिसर में भोजन की मीनू व समय का वोर्ड तो लगाया गया है लेकिन मरीजों को न तो मीनू के अनुसार भोजन मिल रहा है और न ही लिखे हुए समय पर। सुबह सात बजे चाय-नाश्ते का समय लिखा गया है और आठ बजे के बाद रसोई का ताला खुलता है। अस्पताल में फर्जी बिल लगाकर जमकर हेराफेरी की जा रही है।
प्रसूता को मिलने वाले पोष्टिक आहार पर भी डाका
शासन के निर्देशानुसार शासकीय अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं को प्रसव उपरांत चाय, टोस्ट एवं पोष्टिक आहार देना चाहिए। लेकिन रीठी अस्पताल में किसी भी प्रसूता को प्रसव के बाद न तो पोष्टिक आहार मिलता है और न ही उन्हें चाय नसीब होती है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रीठी में प्रतिदिन औसतन पांच से दस प्रसव केश आते हैं। लेकिन प्रसव के बाद जननी को मिलने वाले चाय, टोस्ट, फल, दूध व पोष्टिक आहार को कौन खा जाता है इसका पता विभाग आज तक नहीं लगा पाया है। प्रसूताओं को बाहर दुकानों से चाय खरीद कर पीनी पड़ रही है।